नमस्कार! मैं हूँ डॉ. अभिषेक द्विवेदी, निदेशक, मंथन हॉस्पिटल, प्रयागराज।
आज, 24 अक्टूबर 2025 को, जब पूरी दुनिया विश्व पोलियो दिवस मना रही है, तो हमें इस बात का जश्न मनाना चाहिए कि भारत ने पोलियो जैसी भयानक बीमारी को हरा दिया है। मगर एक डॉक्टर के नाते, मैं जानता हूँ कि जश्न के साथ सतर्कता भी ज़रूरी है। मेरी सबसे बड़ी चिंता यही है कि हम कहीं इस ‘जीत’ को ‘युद्ध का अंत’ न मान बैठें।
पोलियो उन्मूलन की यह लड़ाई अभी भी चल रही है। जिस तरह शरीर में कोई छोटा सा संक्रमण भी बड़ा रूप ले सकता है, उसी तरह दुनिया के किसी भी कोने में बचा हुआ पोलियो वायरस, भारत में फिर से महामारी ला सकता है।
इस वर्ष की थीम “पोलियो समाप्त करें: हर बच्चा, हर टीका, हर जहाँ” हमें याद दिलाती है कि हमारा साझा दायित्व क्या है।
पोलियो क्या है और यह इतना ख़तरनाक क्यों है?
डॉ. अभिषेक द्विवेदी की ओर से, आइए पहले समझते हैं कि पोलियो है क्या।
पोलियो (Poliomyelitis), पोलियो वायरस के कारण होने वाला एक अत्यंत संक्रामक रोग है। यह मुख्य रूप से 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों को अपना शिकार बनाता है।
- संक्रमण का मार्ग : यह वायरस दूषित पानी या भोजन के माध्यम से या संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से फैलता है (मल-मुँह मार्ग)।
- सबसे बड़ा ख़तरा : यह वायरस आँतों में बढ़ता है और अगर यह तंत्रिका तंत्र (Nervous System) तक पहुँच जाए, तो यह पैरालिसिस (लकवा) का कारण बन सकता है, जो अक्सर स्थायी होता है, और गंभीर मामलों में मृत्यु भी हो सकती है।
यह 24 अक्टूबर का दिन, पोलियो का पहला प्रभावी टीका विकसित करने वाले जोनास साल्क (Jonas Salk) के जन्मदिन के सम्मान में चुना गया है। यह दिन टीकाकरण की शक्ति का प्रतीक है।
भारत की अद्भुत उपलब्धि और वर्तमान चुनौती
डॉ. द्विवेदी गर्व से बताते हैं कि भारत ने 2014 में पोलियो मुक्त देश का दर्जा प्राप्त किया। यह सफलता इसलिए मिली:
- पल्स पोलियो अभियान : देशव्यापी, व्यापक और आक्रामक टीकाकरण अभियान।
- साझेदारी : सरकार, स्वास्थ्यकर्मियों, NGOs और वैश्विक भागीदारों का ज़बरदस्त तालमेल।
- मज़बूत निगरानी : हर बच्चे तक पहुँचने की विशेष रणनीति और प्रभावी निगरानी तंत्र।
बावजूद इसके, विश्व स्तर पर खतरा अभी भी बरकरार है। जैसा कि डॉ. द्विवेदी बताते हैं, 2025 में भी अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में वाइल्ड पोलियो वायरस (WPV1) के मामले दर्ज हो रहे हैं। इसके अलावा, कुछ क्षेत्रों में वैक्सीन-उत्पन्न पोलियो वायरस (cVDPV) भी चिंता का विषय है।
जब तक दुनिया में एक भी बच्चा पोलियो से संक्रमित है, तब तक हर देश खतरे में है।
आप और मैं क्या कर सकते हैं? डॉ. द्विवेदी के 4 संकल्प
मंथन हॉस्पिटल के निदेशक होने के नाते, डॉ. अभिषेक द्विवेदी आप सभी से आग्रह करते हैं कि पोलियो मुक्त विश्व के लिए ये 4 संकल्प लें:
- 0 से 5 वर्ष के बच्चों का टीकाकरण सुनिश्चित करें : यह सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी है। पोलियो का टीकाकरण ही एकमात्र सुरक्षा कवच है। अपने आस-पड़ोस में सुनिश्चित करें कि 5 वर्ष से कम आयु के किसी भी बच्चे ने पोलियो वैक्सीन की खुराक न छोड़ी हो।
- अफ़वाहों को तुरंत ख़ारिज करें : टीकाकरण को लेकर समाज में फैले मिथकों और अफ़वाहों को सिरे से ख़ारिज करें। पोलियो टीका पूरी तरह से सुरक्षित है। डॉ. द्विवेदी कहते हैं, “जागरूकता फैलाना और संदेह को दूर करना, किसी भी डॉक्टर के काम से कम नहीं है।”
- निगरानी में योगदान दें : अगर आपको अपने आसपास किसी बच्चे में पोलियो जैसे लक्षण (जैसे अचानक पैर में लकवा या कमज़ोरी) दिखें, तो बिना देरी किए स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र को सूचित करें। आपकी सतर्कता एक बड़े फैलाव को रोक सकती है।
- सफ़ाई पर ध्यान दें : चूँकि वायरस मल-मुँह मार्ग से फैलता है, इसलिए स्वच्छ पानी का उपयोग, नियमित हाथ धोना और बेहतर साफ़-सफ़ाई (Hygiene) बनाए रखना आवश्यक है।
जीत का अंतिम चरण
डॉ. अभिषेक द्विवेदी की ओर से यह स्पष्ट है कि आज का दिन केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि नए सिरे से संकल्प लेने का आरंभ है। भारत ने यह जंग जीती है, पर वैश्विक स्तर पर अंतिम चरण अभी बाकी है।
आइए, इस विश्व पोलियो दिवस पर हम सभी मिलकर यह प्रण लें कि हम हर बच्चे, हर जगह, हर टीके की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। आपकी छोटी सी सतर्कता एक पोलियो-मुक्त विश्व के निर्माण में सबसे बड़ा योगदान देगी।
मंथन हॉस्पिटल आपके और आपके परिवार के स्वास्थ्य के लिए प्रतिबद्ध है।
(मंथन हॉस्पिटल – “जहाँ इलाज के साथ समझ भी दी जाती है।”)


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