विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस – आइए, पूर्वाग्रह मिटाएं, समानता अपनाएं : डॉ. अभिषेक द्विवेदी

आज, 21 मार्च को, हम विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस मना रहे हैं। यह दिन हमें डाउन सिंड्रोम से प्रभावित व्यक्तियों के प्रति हमारी समझ और समर्थन को बढ़ाने का अवसर देता है। मैं, डॉ. अभिषेक द्विवेदी, आप सभी से इस महत्वपूर्ण दिन पर कुछ बातें साझा करना चाहता हूँ।

डाउन सिंड्रोम एक आनुवंशिक स्थिति है, जो 21वें क्रोमोसोम की अतिरिक्त प्रतिलिपि के कारण होती है। इससे शारीरिक और मानसिक विकास में कुछ भिन्नताएँ आती हैं। हमें यह समझना होगा कि यह कोई बीमारी नहीं है, बल्कि एक आनुवंशिक स्थिति है।

डाउन सिंड्रोम से प्रभावित व्यक्तियों में कुछ विशेष शारीरिक लक्षण होते हैं, जैसे छोटे कद, चपटी नाक और बादाम जैसी आँखें। उनके मानसिक विकास में भी थोड़ी धीमी गति देखी जा सकती है। हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि हम उनकी क्षमताओं को पहचानें और उन्हें समान अवसर प्रदान करें।

डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चे भी सामान्य जीवन जी सकते हैं। सही देखभाल, प्यार और शिक्षा के साथ, वे आत्मनिर्भर और खुशहाल जीवन व्यतीत कर सकते हैं। विशेष शिक्षा, थेरेपी और चिकित्सा सहायता उन्हें अपने जीवन में आगे बढ़ने में मदद करती है।

इस वर्ष, विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस की थीम है “पूर्वाग्रह को खत्म करें”। समाज में कई गलत धारणाएँ हैं कि डाउन सिंड्रोम से प्रभावित व्यक्ति कुछ नहीं कर सकते। लेकिन सच्चाई यह है कि वे सीख सकते हैं, खेल सकते हैं, काम कर सकते हैं और समाज में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं।

हमारा कर्तव्य है कि हम डाउन सिंड्रोम से प्रभावित व्यक्तियों को समझें, स्वीकार करें और उनका समर्थन करें। हमें उनके प्रति सम्मान दिखाना चाहिए और उन्हें समाज में समान अवसर प्रदान करने चाहिए।

“हर बच्चा खास होता है, बस हमें उसे समझने और अपनाने की ज़रूरत है!”

आइए, इस विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस पर, हम सब मिलकर पूर्वाग्रह को खत्म करने और समावेशिता को बढ़ावा देने का संकल्प लें।

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