जयादा ठंड लगना सिर्फ मौसम की नहीं, खून की कमी का इशारा भी हो सकता है ! – डॉ. अभिषेक द्विवेदी


नमस्ते! मैं हूँ डॉ. अभिषेक द्विवेदी।

सर्दियों का मौसम शुरू हो चुका है, और ज़ाहिर है ठंड भी लग रही है। लेकिन क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि आपके बगल में बैठा व्यक्ति सामान्य महसूस कर रहा है, जबकि आपको लगातार कंपकंपी महसूस हो रही है? आपके हाथ-पैर हमेशा ठंडे क्यों रहते हैं?

एक फिजिशियन के रूप में, मैं आपको बता दूँ कि हर बार इस ज़्यादा ठंड लगने के पीछे मौसम नहीं, बल्कि आपके शरीर के अंदर चल रही एक गंभीर चिकित्सीय कमी (Clinical Deficiency) ज़िम्मेदार हो सकती है।

हम बात कर रहे हैं दो सबसे ज़रूरी पोषक तत्वों की: आयरन (Iron) और विटामिन-बी12 (Vitamin B12)। इन दोनों की कमी से शरीर की आंतरिक तापमान प्रणाली (Internal Thermoregulation) गड़बड़ा जाती है। आइए, समझते हैं इसका विज्ञान और इसका समाधान क्या है।


ज़्यादा ठंड क्यों लगती है? विज्ञान का कनेक्शन

हमारे शरीर का तापमान बनाए रखने का काम एक जटिल प्रक्रिया है, जिसका मुख्य आधार है रेड ब्लड सेल्स (RBCs) और ब्लड सर्कुलेशन (रक्त संचार)।
जब शरीर में आयरन या B12 की कमी होती है, तो यह सीधा हमारे RBCs के काम को प्रभावित करती है, जिससे शरीर गर्मी पैदा नहीं कर पाता।

A. आयरन की कमी: हीमोग्लोबिन का कमज़ोर कवच

मूल काम : आयरन, हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) बनाने के लिए अनिवार्य है। हीमोग्लोबिन ही वह प्रोटीन है जो फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर शरीर के हर अंग, ऊतक और कोशिका तक पहुँचाता है।
समस्या : आयरन की कमी होने पर एनीमिया (रक्ताल्पता) हो जाता है। एनीमिया की स्थिति में, अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती। गर्मी पैदा करने (Metabolism) के लिए कोशिकाओं को ऑक्सीजन चाहिए। जब ऑक्सीजन कम होती है, तो शरीर गर्मी पैदा करने में असमर्थ होता है और व्यक्ति को लगातार ठंड लगती है।

B. विटामिन-B12 की कमी: मेटाबॉलिज्म का धीमापन

मूल काम : B12 न सिर्फ़ स्वस्थ RBCs बनाने के लिए ज़रूरी है, बल्कि यह तंत्रिका तंत्र (Nervous System) और मेटाबॉलिज्म को भी नियंत्रित करता है।
समस्या : B12 की कमी से मेगालोब्लास्टिक एनीमिया होता है, जिसमें RBCs बड़े और कमज़ोर हो जाते हैं, जिससे ऑक्सीजन सप्लाई प्रभावित होती है। साथ ही, B12 की कमी से थायरॉइड ग्रंथि का कार्य भी प्रभावित हो सकता है, जो शरीर के तापमान और मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करती है। धीमा मेटाबॉलिज्म यानी कम गर्मी पैदा होना।

इन कमियों के अलार्मिंग लक्षण

ज़्यादा ठंड लगना अक्सर अकेला लक्षण नहीं होता। अगर आपको निम्नलिखित में से कोई भी लक्षण बार-बार महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें:

• हमेशा थकान और कमज़ोरी महसूस होना।
• त्वचा और आँखों का पीला पड़ना।
• हल्का काम करने पर भी साँस फूलना या चक्कर आना।
• दिल की धड़कन का तेज़ होना (Palpitations)।
• लगातार सिरदर्द और बालों का झड़ना।

डॉ. द्विवेदी के 4 वैज्ञानिक समाधान (रोकथाम और उपचार)

यदि आपको लगता है कि आप इन कमियों से जूझ रहे हैं, तो केवल हीटिंग या गर्म कपड़े काम नहीं करेंगे। आपको शरीर को अंदर से ठीक करना होगा।

I. आयरन का बेहतर अवशोषण (Absorption) ज़रूरी

स्रोत : अपने भोजन में हीम आयरन (लीन मीट, मछली, अंडा) और नॉन-हीम आयरन (पालक, दालें, खजूर, तिल) दोनों को शामिल करें।
टिप : आयरन युक्त भोजन के साथ विटामिन-सी (नींबू, संतरा, शिमला मिर्च) ज़रूर लें। विटामिन-सी, नॉन-हीम आयरन को सोखने में मदद करता है।
बचाव : खाने के तुरंत बाद चाय या कॉफ़ी पीने से बचें, क्योंकि वे आयरन के अवशोषण (Absorption) को बाधित करते हैं।

II. B12 के लिए पशु-आधारित स्रोत अनिवार्य

शाकाहारियों के लिए चुनौती : विटामिन-B12 मुख्य रूप से एनिमल प्रोडक्ट्स (मांस, मछली, अंडे, दूध, दही, पनीर) में पाया जाता है। शुद्ध शाकाहारी लोगों में इसकी कमी अक्सर पाई जाती है।
समाधान : अगर आप शाकाहारी हैं, तो फोर्टिफाइड फूड्स (जैसे fortified सोया मिल्क या सीरियल्स) लें। डॉक्टर की सलाह पर B12 सप्लीमेंट्स लेना अनिवार्य हो सकता है।

III. थायरॉइड की जाँच

डॉ. द्विवेदी की सलाह : “यदि आयरन और B12 सप्लीमेंट्स लेने के बावजूद भी आपको लगातार ठंड लगती है और थकान बनी रहती है, तो एक बार थायरॉइड फंक्शन टेस्ट (TSH) ज़रूर करवाएँ। हाइपोथायरायडिज्म भी शरीर की गर्मी पैदा करने की क्षमता को कम कर देता है।”

IV. नियमित रक्त जाँच (Blood Test)

• अपनी सेहत को नज़रअंदाज़ न करें। एक साधारण CBC (Complete Blood Count) टेस्ट के ज़रिए एनीमिया का पता चल जाता है, और एक B12 और फेरिटिन टेस्ट इन कमियों को उजागर कर सकता है। सही इलाज (डाइट या सप्लीमेंट्स) से यह समस्या पूरी तरह ठीक हो सकती है।

याद रखें – मंथन हॉस्पिटल का उद्देश्य आपको सिर्फ मौसम से नहीं, बल्कि आपके शरीर की आंतरिक कमियों से भी बचाना है। अपनी सेहत के प्रति जागरूक रहें।


    (मंथन हॉस्पिटल – “जहाँ इलाज के साथ समझ भी दी जाती है।”)