नमस्ते! मैं, डॉ. अभिषेक द्विवेदी, निदेशक, मंथन हॉस्पिटल, एक बार फिर आपसे मुखातिब हूँ।
पिछले आलेख में हमने बात की थी कि कैसे मधुमेह से पीड़ित लोग भी नवरात्र का व्रत बिना किसी चिंता के रख सकते हैं। आज, मैं एक ऐसे विषय पर बात करना चाहता हूँ जो लगभग हर उस व्यक्ति को परेशान करता है जो 9 दिनों का उपवास रखता है: पेट में गैस, एसिडिटी और कब्ज़ का बुरा हाल!
अक्सर हम सोचते हैं कि व्रत तो शरीर को शुद्ध करने का एक तरीका है, फिर भी पेट क्यों फूलने लगता है? क्यों सीने में जलन होने लगती है? दरअसल, यह सब हमारी कुछ अनजाने में की गई गलतियों का परिणाम है। यह व्रत सिर्फ आस्था की नहीं, बल्कि सेहत की भी एक तपस्या है। और इस तपस्या का फल तभी मिलता है, जब आप इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें।
तो आइए, मैं आपको बताता हूँ उन 5 गलतियों के बारे में, जो आपकी तपस्या में बाधा डाल सकती हैं और आपको व्रत का पूरा लाभ लेने से रोकती हैं।
1. तला-भुना और मसालेदार भोजन
व्रत का मतलब यह नहीं कि आप कुट्टू की पूरी, आलू के पकौड़े और चिप्स खाकर पेट भर लें। यह एक आम धारणा है कि व्रत में ये सब चलता है। लेकिन इन चीज़ों को पचाने के लिए आपके पेट को बहुत मेहनत करनी पड़ती है। तेल में तली हुई चीज़ें भारी होती हैं और मसालेदार भोजन एसिड का उत्पादन बढ़ाते हैं, जिससे गैस, पेट में दर्द और एसिडिटी की समस्या हो सकती है।
डॉ. द्विवेदी का सुझाव: तले-भुने पकवानों की जगह, उबला हुआ, भुना हुआ या कम तेल वाला भोजन चुनें। दही के साथ उबले आलू, साबूदाने की खिचड़ी (कम तेल में), या भुनी हुई मूंगफली आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प हैं।
2. खाली पेट चाय या कॉफ़ी का सेवन
यह एक ऐसी गलती है जिसे हम में से ज़्यादातर लोग करते हैं। सुबह खाली पेट चाय या कॉफ़ी पीना पेट में एसिड की मात्रा को अचानक बढ़ा देता है। इससे न सिर्फ सीने में जलन होती है, बल्कि पूरे दिन पेट में गैस और एसिडिटी बनी रहती है।
डॉ. द्विवेदी का सुझाव: अपनी दिन की शुरुआत नारियल पानी, नींबू पानी या ताज़े फलों के जूस (बिना चीनी) से करें। यह आपके पेट को शांत रखेगा और आपको दिन भर हाइड्रेटेड भी रखेगा।
3. पानी कम पीना
व्रत के दौरान लोग अक्सर खाने पर तो ध्यान देते हैं, लेकिन पानी पीना भूल जाते हैं। शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) से कब्ज़, एसिडिटी और पेट फूलने की समस्या हो सकती है।
डॉ. द्विवेदी का सुझाव: दिन भर में पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। इसके अलावा, खीरा, ककड़ी, तरबूज और खरबूजा जैसे पानी वाले फल भी खाएं। ये शरीर को हाइड्रेटेड रखते हैं और पाचन क्रिया को भी दुरुस्त करते हैं।
4. ज़्यादा खट्टे फल खाना
फल खाना व्रत में एक बहुत अच्छा विकल्प है, लेकिन खट्टे फलों का सेवन सीमित मात्रा में ही करें। अगर आपको पहले से ही एसिडिटी की समस्या है, तो खाली पेट संतरा, मौसमी या नींबू जैसे फल खाने से बचें। इनमें मौजूद एसिड पेट में जलन पैदा कर सकते हैं।
डॉ. द्विवेदी का सुझाव: खट्टे फलों की जगह केला, पपीता, सेब या अमरूद खाएं। ये फल पेट के लिए हल्के होते हैं और पाचन को भी बेहतर बनाते हैं।
5. लंबे समय तक खाली पेट रहना
कुछ लोग यह सोचकर कुछ नहीं खाते कि इससे उनका व्रत शुद्ध रहेगा। लेकिन शरीर को ऊर्जा चाहिए होती है। अगर आप लंबे समय तक भूखे रहेंगे तो पेट में एसिड जमा होने लगता है, जो गैस और एसिडिटी का कारण बनता है।
डॉ. द्विवेदी का सुझाव: सुबह भीगे हुए बादाम, अखरोट या एक केला खाकर व्रत की शुरुआत करें। इससे आपका शरीर पूरे दिन ऊर्जावान रहेगा। हर 2-3 घंटे में कुछ हल्का खाते रहें।
व्रत का सही तरीका: एक आदर्श दिनचर्या
- सुबह की शुरुआत: एक गिलास गुनगुना पानी और भीगे हुए मेवे (बादाम, अखरोट) या एक केला खाकर करें।
- दिन में: फल, दही या छाछ का सेवन करें।
- दोपहर में: सिंघाड़े या कुट्टू की रोटी के साथ हल्की सब्जी और दही खाएं।
- शाम को: भुने हुए मखाने या मूंगफली जैसा हल्का स्नैक्स लें।
- रात में: हल्की सब्जी और रोटी या एक गिलास दूध पीकर सोएं।
इन छोटी-छोटी सावधानियों से आप बिना किसी परेशानी के मां दुर्गा की आराधना कर सकते हैं। याद रखें, व्रत तभी सफल होता है जब आपका मन और शरीर दोनों स्वस्थ हों।
शुभ नवरात्र!
डॉ. अभिषेक द्विवेदी निदेशक, मंथन हॉस्पिटल


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