आज़ादी का असली जश्न – डॉ. अभिषेक द्विवेदी

आज, जब हमारा राष्ट्र तिरंगे की शान में अपनी साँसें मिला रहा है, तो मेरे मन में एक साथ दो भावनाएं उमड़ रही हैं: एक देशभक्त का गौरव और एक डॉक्टर की जिम्मेदारी। मैं डॉ. अभिषेक द्विवेदी, निदेशक, मंथन हॉस्पिटल, नैनी, प्रयागराज से, आप सभी को स्वतंत्रता दिवस के इस महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ।

अक्सर हम इस दिन शहीदों के लहू से मिली आज़ादी का जश्न मनाते हैं, लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि असली स्वतंत्रता क्या है? मेरे लिए, एक डॉक्टर के तौर पर, स्वतंत्रता का सच्चा जश्न तब है जब हमारा शरीर और मन, दोनों बीमारियों की गुलामी से आज़ाद हों।

हमारे पूर्वजों ने हमें एक स्वतंत्र राष्ट्र सौंपा, अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम एक स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण करें। जिस तरह हमारे वीर सैनिकों ने सरहद पर खड़े होकर देश की रक्षा की, उसी तरह हमें अपने शरीर की रक्षा करनी होगी। क्योंकि एक स्वस्थ नागरिक ही एक सशक्त राष्ट्र की नींव होता है।


बीमारियों की गुलामी से आज़ादी

हमारे चारों ओर आज भी कई बेड़ियाँ हैं। आलस्य की बेड़ियाँ, तनाव की बेड़ियाँ, और गलत खान-पान का साम्राज्य। ये हमें धीरे-धीरे अंदर से खोखला कर रही हैं। एक मधुमेह (diabetes) से जूझता हुआ शरीर, उच्च रक्तचाप (hypertension) से दबा हुआ मन, या एक फैटी लिवर की पीड़ा – क्या यह सच्ची आज़ादी है?

नहीं। आज़ादी का मतलब है अपने शरीर के हर हिस्से को स्वस्थ रखना। अपने दिल को बिना किसी डर के धड़कने देना, फेफड़ों को ताज़ी हवा में खुलकर साँस लेने देना और अपनी आँखों को बिना किसी धुंध के इस खूबसूरत दुनिया को देखने देना।

एक देशभक्त के लिए यह भी एक जंग है। यह जंग अपने आलस्य से, अपनी गलत आदतों से और उस अनदेखी से है जो हम अपने शरीर के साथ करते हैं।


15 अगस्त का हमारा नया संकल्प

इस ऐतिहासिक दिन पर, आइए हम सब मिलकर एक नया संकल्प लें। एक ऐसा संकल्प, जो हमारे देश को सिर्फ राजनीतिक रूप से ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के मोर्चे पर भी स्वतंत्र बनाए।

  • मैं संकल्प लेता हूँ, कि मैं अपने शरीर को एक मंदिर मानूंगा और इसे हर तरह के प्रदूषण और गलत आदतों से बचाऊंगा।
  • मैं संकल्प लेता हूँ, कि मैं हर सुबह को अपने शरीर को श्रद्धांजलि दूँगा, और हर सांस को आज़ादी का गीत बनाऊंगा।
  • मैं संकल्प लेता हूँ, कि मैं ज्ञान और जागरूकता के प्रकाश से अपने परिवार और समाज को रोशन करूंगा, और उन्हें स्वास्थ्य की सही राह दिखाऊंगा।

मंथन हॉस्पिटल में हम सिर्फ बीमारियों का इलाज नहीं करते, बल्कि हम हर व्यक्ति की इस जंग में उनके साथी बनते हैं। हमारे लिए, एक स्वस्थ मरीज़ की मुस्कान, किसी भी जीत से कम नहीं है। हमारे क्लिनिक के दरवाजे आपकी सेवा के लिए हर दिन खुले हैं।


तिरंगे की तरह, हमारा जीवन

आइए, अपने जीवन को तिरंगे के रंगों से भर दें।

  • केसरिया रंग, जो त्याग और साहस का प्रतीक है। यही साहस हमें अपनी बुरी आदतों को छोड़ने के लिए चाहिए।
  • सफेद रंग, जो शांति और पवित्रता का प्रतीक है। यही शांति और पवित्रता हमें अपने मन और शरीर में चाहिए।
  • हरा रंग, जो समृद्धि और जीवन शक्ति का प्रतीक है। यही जीवन शक्ति हमें अपने फेफड़ों में चाहिए।

और बीच में मौजूद अशोक चक्र हमें बताता है कि प्रगति कभी रुकती नहीं। जिस तरह देश आगे बढ़ रहा है, उसी तरह हमें अपने स्वास्थ्य को भी लगातार बेहतर बनाना है।

इस स्वतंत्रता दिवस पर, आइए हम अपनी आज़ादी का जश्न, एक स्वस्थ और रोग-मुक्त जीवन के साथ मनाएं। क्योंकि यही हमारे वीर शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

जय हिन्द! स्वस्थ भारत, सशक्त भारत!