डायबिटिक फुट (Diabetic Foot) – मधुमेह का वो खामोश दुश्मन, जिसे अनदेखा करना पड़ सकता है महंगा ! – डॉ. अभिषेक द्विवेदी

दोस्तों, मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जो हमारे शरीर के लगभग हर हिस्से को प्रभावित कर सकती है। लेकिन एक ऐसी जटिलता है जिसे अक्सर शुरुआती चरणों में नजरअंदाज कर दिया जाता है, और यही अनदेखी आगे चलकर गंभीर परिणाम ला सकती है – वह है “डायबिटिक फुट (Diabetic Foot)”। यह सिर्फ पैरों में होने वाली कोई मामूली समस्या नहीं है, बल्कि एक ऐसा खतरा है जो समय पर ध्यान न देने पर आपके पैरों को हमेशा के लिए आपसे छीन सकता है। मंथन हॉस्पिटल, प्रयागराज में वरिष्ठ फिजिशियन के तौर पर मैं, डॉ. अभिषेक द्विवेदी, आज इसी महत्वपूर्ण विषय पर आपसे बात कर रहा हूँ, ताकि हम इस खामोश दुश्मन को पहचान सकें और इससे अपने पैरों को बचा सकें।

डायबिटिक फुट (Diabetic Foot) आखिर है क्या बला?

जब किसी व्यक्ति को लंबे समय तक मधुमेह रहता है और उसका ब्लड शुगर लेवल अनियंत्रित रहता है, तो यह धीरे-धीरे पैरों की नसों (Neuropathy) और रक्तवाहिनियों (Angiopathy) को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। इसके कारण पैरों में कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जैसे:

  • सुन्नपन (Numbness) – पैरों में संवेदना कम हो जाती है, जिससे चोट लगने पर भी मरीज को पता नहीं चलता।
  • जलन या झनझनाहट (Tingling Sensation) – नसों के क्षतिग्रस्त होने से पैरों में अजीब सी चुभन या झनझनाहट महसूस हो सकती है।
  • घावों का धीरे-धीरे भरना या न भरना – रक्त संचार बाधित होने के कारण पैरों में हुए छोटे-मोटे घाव भी आसानी से ठीक नहीं हो पाते और लंबे समय तक बने रहते हैं।
  • संक्रमण का खतरा (Risk of Infection) – सुन्नता के कारण चोटों का पता न चलने और रक्त संचार खराब होने के कारण संक्रमण आसानी से फैल सकता है, जो गंभीर रूप ले सकता है।

क्यों यह खतरा इतना गंभीर है?

डायबिटिक मरीजों के लिए पैरों में होने वाली छोटी सी चोट भी एक बड़े खतरे का संकेत हो सकती है। सुन्नता के कारण मरीज को दर्द महसूस नहीं होता और वह अनजाने में उस पर दबाव डालता रहता है। इससे घाव बढ़ता जाता है और उसमें संक्रमण होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। कई बार यह संक्रमण हड्डियों तक फैल जाता है, जिसके कारण पैर को बचाने के लिए सर्जरी या अंगच्छेदन (Amputation) तक की नौबत आ सकती है।

डायबिटिक फुट के शुरुआती चेतावनी संकेत

हमें हमेशा अपने पैरों पर ध्यान देना चाहिए और निम्नलिखित संकेतों को अनदेखा नहीं करना चाहिए:

  • पैरों में लगातार झनझनाहट या सुन्नपन महसूस होना।
  • पैरों में कोई ऐसा घाव या छाला जो लंबे समय से ठीक नहीं हो रहा हो।
  • पैर की त्वचा के रंग में बदलाव आना (जैसे लाल, नीला या काला पड़ना)।
  • पैरों में अचानक सूजन या असामान्य बदबू आना।
  • पैरों का अत्यधिक ठंडा या गर्म महसूस होना।

बचाव और पैरों की देखभाल: आपकी सुरक्षा आपके हाथ में!

डायबिटिक फुट से बचाव पूरी तरह से संभव है, यदि हम अपनी सेहत के प्रति जागरूक रहें और नियमित रूप से अपने पैरों की देखभाल करें:

  • ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखें – अपनी दवाएं नियमित रूप से लें और ब्लड शुगर की नियमित जांच कराएं।
  • रोजाना पैरों की जांच करें – हर दिन अपने पैरों को ध्यान से देखें, खासकर उंगलियों के बीच, ताकि किसी भी कट, छाले, खरोंच या सूजन का पता चल सके। यदि देखने में मुश्किल हो तो किसी की मदद लें।
  • सही जूते और मोजे चुनें – हमेशा नरम, आरामदायक और अच्छी फिटिंग वाले जूते पहनें। सीमलेस मोजे पहनें जो नमी को सोख सकें।
  • पैरों को साफ और सूखा रखें – रोजाना अपने पैरों को गुनगुने पानी से धोएं और अच्छी तरह से सुखाएं, खासकर उंगलियों के बीच।
  • किसी भी चोट या संक्रमण को गंभीरता से लें – यदि आपको अपने पैरों में कोई भी चोट, कट, छाला या संक्रमण दिखाई दे, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। घरेलू उपचार करने से बचें।

मंथन हॉस्पिटल – आपके पैरों की देखभाल के लिए प्रतिबद्ध

मंथन हॉस्पिटल, प्रयागराज में हम डायबिटिक फुट की रोकथाम और इलाज के लिए एक विशेष टीम रखते हैं जिसमें अनुभवी फिजिशियन, डायबिटिक केयर स्पेशलिस्ट्स और वाउंड केयर एक्सपर्ट्स शामिल हैं। हम समझते हैं कि हर मरीज की जरूरतें अलग होती हैं, और हम व्यक्तिगत देखभाल योजनाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं ताकि आपके पैरों को स्वस्थ रखा जा सके और गंभीर जटिलताओं से बचाया जा सके।

आइए, इस महत्वपूर्ण विषय पर जागरूकता बढ़ाएं और अपने पैरों का सम्मान करें। याद रखें, आपके पैर आपको चलते रहने में मदद करते हैं, और उनकी देखभाल करना आपके स्वस्थ जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है।

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