पेट की गड़बड़ से रहें सावधान! बदलता मौसम और पाचन संबंधी समस्याएं – डॉ. अभिषेक द्विवेदी

मौसम में बदलाव अक्सर हमारे शरीर को प्रभावित करते हैं, और पाचन संबंधी समस्याएं उनमें से एक हैं। कभी अचानक ठंड, तो कभी अचानक गर्मी, ऐसे में हमारा शरीर तालमेल बिठाने में थोड़ा समय लेता है। मैं, डॉ. अभिषेक द्विवेदी, आपको पाचन संबंधी कुछ आम समस्याओं और उनसे बचाव के उपायों के बारे में बताना चाहता हूँ, ताकि आप बदलते मौसम में भी स्वस्थ रह सकें।

आंतों में गैस होना एक सामान्य प्रक्रिया है और हर व्यक्ति दिनभर में कम से कम 12 बार गैस पास करता है। यह गैस ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन का मिश्रण होती है। जब बैक्टीरिया द्वारा हाइड्रोजन सल्फाइड गैस का उत्पादन होता है, तब गैस में दुर्गंध आती है। हालांकि, अत्यधिक गैस के कारण पेट में तेज दर्द, ऐंठन और पेट फूलने की समस्या हो सकती है। गैस का दर्द कई बार गॉलब्लैडर की बीमारी, हृदय रोग या अपेंडिसाइटिस जैसे गंभीर रोगों की तरह महसूस हो सकता है। गैस के कारण कई बार गलत खानपान और जीवनशैली भी हो सकती है, इसलिए सही जानकारी होना आवश्यक है।

  • तेज गति से खाना या पीना : जब हम जल्दी-जल्दी खाते या पीते हैं, तो हवा भी हमारे पेट में चली जाती है, जिससे गैस बनती है।
  • स्ट्रॉ से पीना : स्ट्रॉ से पीने पर भी हवा पेट में जा सकती है।
  • च्युइंग गम चबाना : च्युइंग गम चबाने से भी हवा पेट में जाती है।
  • धूम्रपान : धूम्रपान करने वालों के पेट में भी अधिक गैस बनती है।
  • ज्यादा फाइबर वाले खाद्य पदार्थ : कुछ खाद्य पदार्थ, जैसे कि बीन्स और सब्जियां, फाइबर से भरपूर होते हैं, जो गैस पैदा कर सकते हैं।
  • दूध उत्पाद (लैक्टोज असहिष्णुता होने पर) : लैक्टोज असहिष्णुता वाले लोगों को दूध और अन्य डेयरी उत्पादों से गैस हो सकती है।
  • गैस बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों से बचें : उन खाद्य पदार्थों से बचें जो आपको गैस बनाते हैं।
  • धीरे-धीरे भोजन करें : धीरे-धीरे खाएं और अच्छी तरह चबाएं।
  • खाने के बाद टहलें : खाने के बाद थोड़ी देर टहलने से गैस कम हो सकती है।
  • एक बार में अधिक मात्रा में न खाएं : छोटे-छोटे भोजन करें।
  • व्यायाम करें : नियमित व्यायाम से पाचन क्रिया में सुधार होता है और गैस कम बनती है।
  • लैक्टेज एंजाइम सप्लीमेंट लें (लैक्टोज असहिष्णुता में) : लैक्टोज असहिष्णुता वाले लोग लैक्टेज एंजाइम सप्लीमेंट ले सकते हैं।

बदलते मौसम में उल्टी और मतली की समस्या भी बढ़ जाती है। खासकर बच्चों और बुजुर्गों में यह समस्या अधिक देखी जाती है। उल्टी और मतली कई कारणों से हो सकती है, जिनमें वायरल संक्रमण, फूड पॉइजनिंग और मोशन सिकनेस शामिल हैं। सही समय पर सही उपचार और देखभाल से इन समस्याओं को नियंत्रित किया जा सकता है।

  • वायरल संक्रमण (गैस्ट्रोएंटेराइटिस) : गैस्ट्रोएंटेराइटिस एक आंतों का संक्रमण है जो उल्टी, मतली और दस्त का कारण बन सकता है।
  • अधिक खाना या खराब भोजन : अधिक खाने या खराब भोजन खाने से भी उल्टी और मतली हो सकती है।
  • शराब का अधिक सेवन : शराब का अधिक सेवन करने से भी उल्टी और मतली हो सकती है।
  • सफर में चक्कर आना : मोशन सिकनेस के कारण भी उल्टी और मतली हो सकती है।
  • गर्भावस्था में सुबह की उल्टी : गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल बदलाव के कारण भी उल्टी और मतली हो सकती है।
  • कुछ दवाइयों के दुष्प्रभाव : कुछ दवाइयों के दुष्प्रभाव के रूप में भी उल्टी और मतली हो सकती है।
  • पेट में ऐंठन : पेट में ऐंठन और दर्द गैस्ट्रोएंटेराइटिस का एक सामान्य लक्षण है।
  • पानी जैसी दस्त : गैस्ट्रोएंटेराइटिस में पानी जैसी दस्त भी होती है।
  • मतली और उल्टी : गैस्ट्रोएंटेराइटिस में उल्टी और मतली भी होती है।
  • अत्यधिक प्यास : डिहाइड्रेशन होने पर अत्यधिक प्यास लगती है।
  • सूखा मुंह : डिहाइड्रेशन होने पर मुंह सूख जाता है।
  • गहरे रंग का मूत्र : डिहाइड्रेशन होने पर मूत्र का रंग गहरा हो जाता है।
  • चक्कर आना : डिहाइड्रेशन होने पर चक्कर आते हैं।
  • कमजोरी : डिहाइड्रेशन होने पर कमजोरी महसूस होती है।
  • उल्टी के बाद 30-60 मिनट तक कुछ न लें : उल्टी के बाद थोड़ी देर तक कुछ न खाएं।
  • साफ तरल पदार्थ धीरे-धीरे पिएं : साफ तरल पदार्थ, जैसे कि पानी और जूस, धीरे-धीरे पिएं।
  • ठोस भोजन से बचें : उल्टी बंद होने तक ठोस भोजन न खाएं।
  • हल्का और सुपाच्य खाना खाएं (सूखी ब्रेड, टोस्ट, चावल आदि) : जब आप बेहतर महसूस करने लगें, तो हल्का और सुपाच्य खाना खाएं।
  • शराब, कैफीन और तले हुए खाद्य पदार्थों से बचें : शराब, कैफीन और तले हुए खाद्य पदार्थों से बचें।
  • 24 घंटे से अधिक समय तक तरल पदार्थ न ले सकें : यदि आप 24 घंटे से अधिक समय तक तरल पदार्थ नहीं ले सकते हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
  • उल्टी में खून आना : यदि उल्टी में खून आता है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  • तेज बुखार : तेज बुखार होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
  • डिहाइड्रेशन के लक्षण : डिहाइड्रेशन के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
  • उल्टी के साथ सिरदर्द या गर्दन में दर्द : उल्टी के साथ सिरदर्द या गर्दन में दर्द होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।

मौसम बदल रहा है, और यह समय है कि हम अपने और अपने प्रियजनों के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें। छोटी सी सावधानी और नियमित देखभाल से हम पाचन संबंधी समस्याओं से बच सकते हैं।

मैं, डॉ. अभिषेक द्विवेदी, आपको एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन की शुभकामनाएं देता हूँ।

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